चन्द्रमा एक बड़ी चट्टान है जो की हमारी रातों को रौशनी से भरती है और रंग भी बदल सकती है। तो हम उसके बिना क्या करेंगे?
क्या हो अगर चंद्रमा ना हो What if the moon is not there?
“क्या हो अगर” अचानक हमारे पास चन्द्रमा न हो तो? हमारे ग्रह की सबसे करीबी खगोलीय वस्तु होने की वजह
से,चन्द्रमा एक गुरुत्वाकर्षण बल लगाता है जो की पृथ्वी पर होने वाली कई चोजों को नियंत्रित करता है। उदाहरण के लिए, सागरों को लें। अगर आपको सर्फिग पसंद है, तो आपको चन्द्रमा को धन्यवाद करना चाहिए। जब चन्द्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल हमारी घूमती पृथ्वी को खींचता है, तो महासागर प्रतिक्रिया करते हैं, जिससे हमें विश्व के कुछ हिस्सों में हाई टाइड्स मिलते हैं तो कहीं लो टाइड्स। और जब हवाएँ लहरों को अपनी ऊर्जा दे रही होती हैं, टाइड्स अपना आकार निर्धारित करती हैं। चन्द्रमा का गुरुत्वाकर्षणीय खिंचाव हमारी पृथ्वी को स्थिर 23.5 डिग्री पर सूर्य के अनुरूप झुका हुआ रखता है, जिससे हमें चार मौसम और रहने लायक जलवायु मिलती है।
पर क्या हो अगर ये रहने लायक जलवायु अचानक से न रहने लायक हो जाये तो? चन्द्रमा के जाने के साथ, उसका हमारी घूमती पृथ्वी को स्थिर करने का प्रभाव भी चला जायेगा। क्या आपको पहले अच्छी खबर चाहिए? इससे सप्ताह के अंत के दिन और पास हो जायेंगे! चन्द्रमा के अचानक गायब हो जाने के साथ, पृथ्वी पर एक दिन सिर्फ छह से आठ घंटे लम्बा होगा। कई मिलियन सालों से, तब्दील होते टाइड्स और पृथ्वी के महादेशों पर उनके प्रभाव ने हमारे ग्रह की परिक्रमा को धीरे कर दिया है, जिससे हमें दिन में 24 घंटे मिलते हैं। पर, चन्द्रमा के मजबूत गुरुत्वाकर्षणीय प्रभाव के बिना, पृथ्वी अभी से तीन से चार गुना तेज़ी से घूमेगी। और बुरी खबर है….की इस गति से घूमने पर, हमें 480 किलोमीटर प्रति घंटे की इस गति से घूमने पर, हमें 480 किलोमीटर प्रति घंटेसे चलने वाली हवाओं को अनुभव करना होगा। पक्षियों और कीड़ों के पास बचने का कोई मौका नहीं होगा।
सबसे भाग्यशाली जमीन पर रहने वाले जीवया तो गहरी जड़ों वाले पौधे होंगे या फिर बहुत छोटे कद के, मजबूत जानवर। हमारा ज़्यादातर समुद्री जीवन भी ख़त्म हो जायेगा, क्यूँकि समुद्री जीव जो अपने जीवित रहने के लिए महासागरीय बहाव पर निर्भर रहते हैं वे महासागरों के खिंचाव से होने वाले फायदे को खो देंगे। बहाव महासागरों के तल से ज़रूरी तत्वों को सतह तक फैलते हैं, और ऑक्सीजन से भरे पानी को सतह से गहरे समुद्र में ले जाते हैं। हमारे पास अभी भी टाइड्स होंगी, पर अब वे सूर्य से नियंत्रित होंगी और 93 मिलियन मील दूर से, वे सिर्फ अब से एक-तिहाई गुना शक्तिशाली रह जायेंगी और चन्द्रमा के अचानक गायब होते ही, महासागर सूर्य की तरफ खिचेंगे, जिससे विनाशकारी लहरें बनेंगी, जो कई हज़ार जानें लेंगी और कोस्ट लाइन्स को डुबा देंगी। इस समय, हमें नयी महासागरीय बहाव के अनुकूल रहना होगा, जो की धीमी गति से बहते हुए इक्वेटोरियल वाटर्स को गर्म करेंगी। जबकि पोलर वाटर्स को बहुत ठंडा। ये बहुत ज़्यादा अंतर ज़मीन पर भी यही प्रभाव डालेगा, क्यूँकि महासागरीय बहाव अपने क्षेत्रीय जलवायु को भी प्रभावित करते हैं।
सूर्य के साथ साथ मंगल और पास के और भी ग्रहहमारे ग्रह पर इस गुरुत्वाकर्षणीय प्रभाव के एक भाग का असर महसूस कर सकते हैं, जिससे पृथ्वी अलग-अलग दिशाओं में खिंचेगी, और बढ़ी हुई अस्थिरता के साथ झुक जाएगी। पृथ्वी का एक्सियल प्लेन लगभग 10 डिग्री से बदल जायेगा, जिससे मौसमों में बहुत नाटकीय बदलाव आएंगे, और हमारी जलवायु रहने लायक नहीं रह जाएगी। ज़्यादातर फसलें, इतने भीषण तापमान में ख़राब हो जाएँगी। हम मनुष्यों द्वारा देखे गए सबसे ख़राब शीत युग का अनुभव करेंगे, क्यूँकि नार्थ और साउथ पोल से बहुत बड़े ग्लेशियर पृथ्वी पर अतिक्रमण करेंगे, और शायद इक्वेटर के पास एक छोटे बैंड को छोड़कर सब ढक देंगे।
तो भले ही चन्द्रमा “Werewolf” को आकर्षित करते हैं, ये फिर भी एक ऐसी दूसरी दुनिया से बेहतर है, जहाँ चन्द्रमा न हो। अगली बार जब आप इसे आसमान में देखें, तो खुश हों की वो अभी भी वहाँ है। आज रात अच्छे से सोइये, और एक नयी सुबह का भरपूर उपयोग कीजिये।
2 टिप्पणियाँ
Nice information
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