क्या हो अगर पृथ्वी के वातावरण में ऑक्सीजन दोगुनी हो जाए | What if the oxygen in the Earth's atmosphere doubled?

 

क्या हो अगर पृथ्वी के वातावरण में ऑक्सीजन दोगुनी हो जाए


What if the oxygen in the Earth's atmosphere doubled?


क्या हो अगर पृथ्वी के वातावरण में ऑक्सीजन दोगुनी हो जाए | 


एक गहरी सांस लीजिए। हम एक दिन में 23,000 सांसे लेते हैं| जिसके ज़रिए हम अपने दिमाग़ और सेल्स यानी कोशिकाओं में ऑक्सीजन पहुंचाते हैं।


ऑक्सीजन हमारे ज़िंदा रहने के लिए ज़रूरी है। पर जो सांस हम लेते हैं ऑक्सीजन उसका केवल एक छोटा हिस्सा है।


क्या हो अगर ऑक्सीजन और ज़्यादा हो जाए? ऐसे में क्या होगा?

अगर पृथ्वी के वातवरण में मौजूदा से ज़्यादा ऑक्सीजन हो जाती है तो ये केवल कुछ चीज़ें हैं जिनका हमें सामना करना होगा। इसका अलावा क्या होगा?





आप पढ़ रहे हैं ‘‘क्या हो अगर’’ और ये है क्या हो अगर पृथ्वी के वातावरण में ऑक्सीजन दोगुनी हो जाए?


 


हमारे वातावरण में क़रीब 20 फ़ीसदी ऑक्सीजन है और लगभग 78 फ़ीसदी नाइट्रोजन। हालांकि ऑक्सीजन हमारे वातावरण का सबसे बड़ा हिस्सा नहीं है पर सबसे अहम हिस्सा ज़रूर है।


 


हमारे शरीर की 90 फ़ीसदी ऊर्जा ऑक्सीजन से आती है और बची हुई खाने और पानी से। आप ऑक्सीजन के बिना ये वीडियो भी नहीं देख सकेंगे कुछ भी नहीं कर सकेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि आप ज़िंदा ही नहीं होंगे। और, ना केवल ऑक्सीजन इंसानों के लिए ज़रूरी है बल्कि ये पृथ्वी पर मौजूद हर जीव के लिए ज़रूरी है।


 


शायद जो पहली चीज़ आपकी नज़रों में आएगी वो होंगे बड़े कीड़े-मकौड़े। कीड़े ट्रैकिया नाम की सांस की छोटी नलियों से सांस लेते हैं। वैज्ञानिकों के आंकलन के मुताबिक़ अगर ज़्यादा ऑक्सीजन इन नलियों में जाएगी तो मकड़ी और कॉकरोच जैसे कीड़े काफ़ी ज़्यादा बड़े हो जाएंगे।


 


क़रीब 30 लाख साल पहले पूर्व ऐतिहासिक काल में पृथ्वी के वातावरण में 30 फ़ीसदी ऑक्सीजन थी। उस वक़्त में, कीड़ें बहुत- बहुत बड़े हुआ करते थे। पतंगे बाज़ के आकार के हुआ करते थे वहीं कुछ मकड़ियां छोटे पक्षियों के बराबर हुआ करती थीं।


 


पृथ्वी के ऑक्सीजन स्तर के दोगुना होने का मतलब होगा हमारे वातावरण में उस वक़्त के मुक़ाबले ज़्यादा ऑक्सीजन होना। यानी हमारे कीड़े-मकौड़े और भी ज़्यादा विशाल होंगे।



 हालांकि ये विशाल कीड़े आपको बेहद डरा सकते हैं पर आपको ये जानकर बेहतर महसूस होगा कि आपके पास इनसे पीछा छुड़ा सकने की ऊर्जा होगी।


 


ऑक्सीजन के बढ़े हुए स्तर के साथ आप पाएंगे कि आप में कहीं ज़्यादा ऊर्जा है। अगर हर किसी में ज़्यादा ऑक्सीजन मौजूद हो तो आज के वक़्त के इंसानी क्षमता के रिकॉर्ड तेज़ी से टूट जाएंगे।


 


आप और ज़्यादा चौकन्ने भी होंगे। आपके शरीर में ज़्यादा ऑक्सीजन होने से ख़ून का बहाव तेज़ होगा और ऊर्जा बढ़ जाएगी। इंसानों में बीमारियां कम होंगी और आप बीमारी की छुट्टियां भी कम लेंगे या शायद लेंगे ही नहीं?


 


न्यूरोफिल्स नाम के संक्रमण से लड़ने वाले रोगों को रोकने वाले एक तरह के सेल और ज़्यादा बनेंगे जिससे आप स्वस्थ रहेंगे। आपको जुकाम भी कम हुआ करेगा! आप सुपरमैन की तरह हो जाएंगे! ठीक वैसे तो नहीं। आपके शरीर में आने वाली, बढ़े हुए स्तर की ऑक्सीजन से कुछ लंबी अवधि की गंभीर दिक्कतें भी हो सकती हैं।


 


ऑक्सीजन के बढ़े हुए स्तर के साथ इंसानों में ऑक्सीजन के ज़हरीले असर की संभावना भी बढ़ जाएगी। ये तब होता है जब इंसान, जितने की आदत है उससे ज़्यादा ऑक्सीजन का सामना करते हैं। वक़्त के साथ-साथ, इससे फेफड़े बर्बाद हो सकते हैं आंखों की रोशनी का नुक़सान हो सकता है और सेल्स का बढ़ना रुक सकता है।


 


आपके शरीर में ज़्यादा ऑक्सीजन होने से शरीर में फ्री रैडिकल्स बन सकते हैं। ये अणु दूसरे ऐसे इलेक्ट्रॉन्स की तलाश में रहते हैं जिनके साथ ये जुड़ सकें। ये होने से, आपके शरीर और आपके डी.एन.ए को नुक़सान पहुंच सकता है। और हां, वो आग लगने की जो बात हमने कही थी उसका क्या?



वातावरण में ज़्यादा ऑक्सीजन के साथ चीज़ें जल्दी आग पकड़ लेंगी। आम तौर पर जब आप आग नहीं लगा पाते तो वो ऑक्सीजन की कमी की वजह से होता है। वातावरण में और ज़्यादा ऑक्सीजन होने से ज़रा सोचिए हर चीज़ कितनी आसानी से आग पकड़ सकेगी।


 


अब पूरी दुनिया में ऐसी ही आग की उम्मीद रखनी होगी। यहां तक कि नमी वाले जंगलों में भी आग लगने की संभावना होगी। और पूरे ग्रह की बात करें तो? सबसे पहले तो, वज़न बढ़ जाएगा। ऑक्सीजन केवल हमारे वातावरण में ही नहीं है। ये हमारी पृथ्वी के क्रस्ट का भी एक हिस्सा है। और क्रस्ट में ज़्यादा ऑक्सीजन होने से, ये भारी हो जाएगा जिससे लिथोस्फेयर यानी थलमंडल का वज़न हमारे वातावरण यानी वायुमंडल से ज़्यादा हो जाएगा।


 


इससे समुद्र, नदियां वगैराह ऑक्सिडाइज़ होकर हाइड्रोजन पेरॉक्साइड में बदल जाएंगी। तो, इसके साथ कुछ अच्छे और कुछ बुरे नतीजे देखने को मिलेंगे पर ख़ुश्क़िस्मती से, आप ये जानकर राहत की सांस ले सकते हैं कि हमारे वातावरण में केवल 20 फ़ीसदी ऑक्सीजन है। और अब तक, ये हमारे लिए अच्छा ही साबित हुआ है।


 


ज़रा सोचिए अगर हमारे पास ऑक्सीजन ना होती तो? जानने के लिए देखते रहें ‘‘क्या हो अगर’’


 

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