क्या हो अगर आप धरती के आर पार एक गढ्ढा खोद लें
नमस्कार दोस्तों, आपका हमारे इस ब्लॉग में स्वागत है आज के इस पोस्ट में हम आपको बताने वाले हैं कि पृथ्वी के आर-पार गड्ढा खोदकर किसी और देश में पहुंच पाना आसान है या नहीं। इस पोस्ट के अंत तक आप यह जान जाएंगे कि पृथ्वी पर गड्ढा खोदने का क्या असर होता है ?
kya ho agar aap dharti ke aar paar ek gaddha khod le
पृथ्वी की जीवन यात्रा
जैसा कि सभी लोग जानते हैं कि पृथ्वी एक मात्र ऐसा ग्रह है जहां पर मानव जाति यानी जीवन निवास करता है। हमारी पृथ्वी पर 70% पानी मिलता है 30% भाग स्थल है। यही कारण है कि पृथ्वी पर लोग निवास करते हैं।
पृथ्वी के संबंध में कहा जाता है कि हमारी पृथ्वी पर जीवन 4 अरब साल पहले ही शुरू हो गया था। पहले यहां पर ऑक्सीजन वातावरण में नहीं पाया जाता था लेकिन धीरे-धीरे ऑक्सीजन की मात्रा में पेड़ पौधे लगाने के कारण प्राप्त होने लगे।
पृथ्वी की रक्षा कौन करता है?
अब बात करते हैं कि जब पृथ्वी पर जीवन है तो इस जीवन की रक्षा करने वाले पौधे, नदी यह सब भी बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। लेकिन यदि कोई मानव के दिमाग में यह बात आ जाती है कि वह पृथ्वी को गड्ढा करके पृथ्वी के एक छोर से दूसरे छोर तक जाएगा तो क्या यह संभव है। क्योंकि अभी तक पृथ्वी पर कोई ऐसा मशीन नहीं आया है जो पृथ्वी को एक छोर से दूसरे ओर तक गड्ढा कर सके।
क्या आप जानते हैं धरती भी बोल की तरह गोल क्यों है?
कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि एक किनारे गड्ढा करेंगे तो इस हिसाब से हम धरती के दूसरे छोर से निकल जाएंगे।
उदाहरण के तौर पर बोला जाए तो अगर हम इंडिया में गड्ढा करेंगे तो हम अमेरिका में निकलेंगे और कुछ लोग इसे ऐसा भी समझते हैं कि हम अंतरिक्ष में गिर जाएंगे।
लेकिन यह प्रकृति हैः इस प्रकृति में कुछ ऐसे नियम है जो किसी शक्ति ने बनाए हैं और उस प्रकृति के उस नियम को तोड़ पाना असंभव है।
इसीलिए हम ऐसा कह सकते हैं कि यह पूरी सृष्टि भी एक कंप्यूटर प्रोग्राम है जिसकी प्रोग्रामिंग कोड ने (जिनको हम भगवान बोलते हैं) किया है, जैसे कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की हर चीज बिल्कुल तर्क के साथ मौजूद है कोडिंग की भलीभांति और किसी सेम कोड का रिजल्ट हमेशा सेम ही होता है उसी तरह से प्रकृति में भी हर चीज की धारणा मौजूद है जैसे कि केले के पेड़ पर कभी आम नहीं निकलते, सूरज हर सुबह निकलता है और शाम को ढल जाता है वह भी उसके अपने निश्चिय समय से वैसे ही इस प्रोग्रामिंग में कुछ नियम है जिनको हम तोड़ नहीं सकते उनमें से एक बात यह है कि क्या हम धरती में गड्ढा करके उसके आर पर जा सकते हैं?
इस प्रश्न का सीधे शब्दों में कोई जवाब है नहीं लेकिन आप यह पढ़ कर समझ सकते हैं ऐसा क्यों पॉसिबल नहीं है|
पृथ्वी 3 कोर में विभाजित है cluster Core, inner core और outer Core।
कलस्टर कोर वह होती है जो धरती की ऊपरी सतह पर होती है जैसे भूकंप के झटके आना, पहाड़ का टूटना या धरती में कुछ-कुछ गहराई तक दरारे आना यह सभी क्लस्टर कोर के अंतर्गत आता है।
अब हम इनर कोर और आउटर कोर को समझने के लिए रूस में हुए रियल एक्सपेरिमेंट से अंदाजा लगा सकते हैं।
कहानी आपको पता है जिसमें 12 किलोमीटर तक गहरा गड्ढा हुआ था जो 1972 से 1993 तक चला था उसके बाद यह मिशन बंद करना पड़ा क्योंकि जो हमारी मशीनें थी वह इतनी गहराई में जाकर वहां का टेंपरेचर झेल नहीं पा रहे थे और पिघल जा रहे थे।
हमें यह जानना होगा कि धरती की जो सेंटर है सतह से उसकी गहराई 6500 किलोमीटर है। हमारी अधिकतम क्षमता के बाद भी हम 12 किलोमीटर से गहरा गड्ढा नहीं बना पाए तो 6500 किलोमीटर तक पहुंचना इंपॉसिबल है सवाल इतने किलोमीटर तक पहुंचने का भी नहीं है इसका मुख्य कारण यह है कि धरती के 1 किलोमीटर अंदर जाने पर ही हवा का दबाव कम होने लगता है और तापमान बढ़ जाता है तो जैसे जैसे हम आगे बढ़ेंगे हमारे जिंदा रहना मुश्किल होता चला जायेगा।
क्योंकि मनुष्य बहुत जिद्दी किस्म का प्राणी है अब हम यह मान लेते हैं कि हमारे पास बहुत आधुनिक जमाने की (जो कि पॉसिबल होगा) मान लेते हैं कि कोई ऐसा सूट बना है जिसे पहनकर हम गर्मी झेल सकते हैं और ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में लेकर जाते हैं।
लेकिन उससे पहले कृपया हम इस आंकड़ों पर नजर डाल लेते हैं।
आउटर कोर: में liquid metals का तापमान अंतराल 4,000 to 9,000° F (2,204 to 4,982° C) है और इसकी गहराई 1,800 to 3,200 miles (2,897 to 5,150 km) है।
इनर कोर: ठोस धातुओं के तापमान से बना है जो 9,000 ° F (4,982 ° C) की गहराई पर है: लगभग 3,200 से 3,900 मील (5,150 से 6,276 किमी)
इस सतह को पार करने के बाद लगभग 3000 किलोमीटर के बाद पहुंचेंगे। आउटर कोर में जिस का तापमान 3500 डिग्री सेल्सियस है चलो मान लेते हैं कोई जादू इस रूप से आप बच गए इसके बाद आप पहुंचेंगे इनर कोर में लगभग 6000 किलोमीटर के बाद जिस का तापमान सूरज के तापमान के बराबर है लगभग 5500 डिग्री सेल्सियस है।
कल्पना में हम इतने अंदर आ गए हैं जो कि असंभव था तो चलो मान लेते हैं कि आपके पास इससे भी ज्यादा जादूई शक्ति है और धरती के नियमों के विरुद्ध जाकर आप इसमें आगे बढ़ते हैं|
लेकिन उसके बाद भी धरती का सबसे बड़ा नियम आपको आगे बढ़ने से रोकेगा क्योंकि इनर कोर में हमारी ग्रेविटी 0 यानी शून्य हो जाएगी और वहां पर आप लटक कर रह जायेंगे।
चलो हमने अब इससे भी ज्यादा कल्पना कर लिया कि आप सारे नियम तोड़ दिए और आप ग्रेविटी से आगे बढ़ते हैं तो शायद आप आपस उसी जगह पर पहुंच जाओगे जहां से आपने गड्ढा किया था तो पृथ्वी अपनी धुरी पर ही घूमती है। धरती सूरज के चारों ओर चक्कर लगाती है धरती के सूरज के चक्कर लगाने की स्पीड 108000 किलोमीटर पर घंटा होती है और इसके अपनी धुरी पर spin करने की स्पीड 1656 किलोमीटर प्रति घंटा है तो एक चांस में यह भी हो सकता है कि आपने जिस जगह से एंट्री किया था वहीं से निकल सकते हैं।
इन सबके बावजूद हमें एक चीज और नहीं भूलनी चाहिए कि जितनी गहराई में हम पहुंचेंगे हमें धरती की दूरी की स्पीड और सूरज के चारों तरफ चक्कर लगाने की स्पीड हमें इतनी बुरी तरह फील होगी क्योंकि हम थोड़े तेज झुलो में ही जाते हैं तो यहां तो आप ऐसे स्पीड को झेल ही नहीं सकते। यह एक ऐसी कल्पना है जो कभी पूरी नहीं हो सकती है।
पृथ्वी पर गड्ढे करना सही है?
अब कल्पना कीजिए कि आप पृथ्वी पर गड्ढा कर रहे हैं और आपने शुरू भी कर दिया है और आप उसके इनर कोर को भेद करते हुए पृथ्वी के आउटर कोर पर पहुंच रहे हैं। इनर कोर पर खुदाई करते वक्त आपकी आधी जान निकल जाएगी क्योंकि पृथ्वी का इनर कोर एक लोहे के बॉल के समान होता है जिसे खोद पाना असंभव बात है। अब आप जैसे ही पृथ्वी के आउटर कोर पर खुदाई करना आरंभ करेंगे आपको बहुत ज्यादा गर्मी लगेगी आपको सूर्य का तेज भी महसूस होगा सूरज का ताप बहुत गर्म होता है जिसे सह पाना आपके लिए असंभव हो जाएगा और मान लीजिए कि आप ने इन सभी कठिन परिस्थितियों को सहते हुए पृथ्वी की खुदाई कर डाली लेकिन फिर भी आप कभी भी पृथ्वी के एक छोर से दूसरे छोर पर पहुंच ही नहीं पाएंगे। क्योंकि आप जहां से खुदाई करते हुए आए हैं वह रास्ते धीरे-धीरे बंद होते चले जाएंगे और अब खुदाई करते करते कहां पहुंचेंगे वह आपको खुद भी पता नहीं चलेगा हो सकता है आपने धरती से खुदाई करना शुरू किया और आप जाकर किसी और देश के समंदर में जाकर गिर पड़े जिस देश को आप जानते ही नहीं है या उसके बारे में कुछ आपको पता ही नहीं है।
बच्चों की सोच
पृथ्वी पर गड्ढे करने की बात बच्चे खेल-खेल में सोच सकते हैं लेकिन यदि आप बड़े हैं बुद्धिमान हैं और आपके दिमाग में अभी भी वह बच्चों वाली बात आ रही है तो आपको यह बातें अपने दिमाग से निकाल देना चाहिए क्योंकि ऐसा कर पाना संभव ही नहीं है और अगर संभव होता भी है तो अब खुदाई करते करते जिस देश में पहुंचेंगे वहां से वापस उसी रास्ते में नहीं जा सकते जहां पर आप खुदाई करके आ चुके हैं क्योंकि वह रास्ते बंद हो गए होंगे और दुबारा उस रास्ते को ढूंढने के लिए आप इतने व्याकुल हो जाएंगे कि आप खुद के कर्मों पर अफसोस करेंगे।
इसलिए पृथ्वी पर गड्ढे करने के बात अपने जहन से निकाल दें। पृथ्वी की रक्षा करने के बारे में सोचें कि इसे किस तरीके से प्राकृतिक आपदाओं से बचाया जाए। किस तरीके से मानव जाति सुरक्षित रह सके इस बारे में अच्छे कार्य करने की सोचे ना कि उसे बर्बाद करने की सोचे।
क्या प्राकृतिक आपदाएं पृथ्वी पर गड्ढे खोदने का कारण है?
यदि कोई व्यक्ति पृथ्वी को गड्ढा करना भी चाहता है और वह सफल भी होता है तो शायद वह पूरा सफल ना हो पाए क्योंकि पृथ्वी को भेद करके एक छोर से दूसरे छोर पर जाना संभव ही नहीं है और अगर व्यक्ति प्रकृति यानी हमारी पृथ्वी से छेड़छाड़ करेगा तो इसका परिणाम संपूर्ण पृथ्वी में रहने वाले लोगों को भुगतना पड़ सकता है। इसका जीता जागता प्रमाण है चमोली में हुए भयानक हादसा। क्या आपको पता है कि जितने भी प्राकृतिक आपदाएं होते हैं वह क्यों होती है जब प्रकृति हमसे नाराज़ हो जाती हैं तभी वह गुस्सा होकर आपदाएं करती है जैसे कि- भूकंप का आना, बाढ़ का आना, चक्रवाद होना या अन्य प्राकृतिक आपदाएं जो आकास्मिक में किसी भी वक्त हो जाता है।
गंगा के नीचे से टनल बनाकर मेट्रो रेल की सुविधा देना यह सब प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करना है। लेकिन भविष्य क्या होगा इसके विषय में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है। आप मान लीजिए अगर आपके शरीर के किसी अंग को बेवजह छेद किया जाए तो आपको कैसा लगेगा आपको गुस्सा आएगा कि नहीं कि आप को अनावश्यक छेद किया जा रहा है। ठीक वैसे ही हमारी प्रकृति है जिसे हम अपनी मां कहते हैं यदि आप अपनी मां को तकलीफ़ देंगे तो क्या उसका बच्चा कभी सुख में रह सकता है। ठीक वैसे ही हमारी पृथ्वी है इसलिए हमारे पृथ्वी के साथ कभी छेड़छाड़ करने की सोचे भी नहीं क्योंकि हमारी पृथ्वी हमारी मां है और जब तक हमारी मां है तब तक हम यानी मानव जीवित रहेंगे और जैसे हम अपने मां यानी धरती मां को तकलीफ़ देंगे तो हम हमेशा के लिए बर्बाद हो जाएंगे हमारा जीवन नहीं रहेगा और हम वापस कभी भी हमारी सुंदर पृथ्वी को नहीं देख पाएंगे।
kya ho agar aap dharti ke aar paar ek gaddha khod le
निष्कर्ष
हमारा उद्देश्य आपको यही बताना था कि आप अपनी प्रकृति की रक्षा कीजिए ना कि उसे तकलीफ़ देने के बारे में सोचें क्योंकि इस पूरी पृथ्वी पर जो कुछ भी है वह प्रकृति का दिया हुआ है। जितना हम प्रकृति के चीजों के साथ खिलवाड़ करेंगे तो प्रकृति भी हमारे साथ खेल बार करेगी इसलिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाए उनके साथ छेड़-खानी ना करें नदियों में बेवजह गंदगी ना फैलाएं यह सब आपका अपना है आप जितना अपनी चीजों को बर्बाद करेंगे आप खुद बर्बाद हो जाएंगे।
2 टिप्पणियाँ
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