गणतंत्रता दिवस की परेड का सबको साल भर इंतेजार रहता है। देश की विभिन्न संस्कृतिया, भारतीय सेनाओ की ताकत और फ्लाई स्पेट को देखने का हमे खास उत्साह रहता है, इसलिए हम 9 बजे दूरदर्शन लगा कर टी.वी के सामने बैठ जाते है।
इस बार भी हम वैसे ही सपरिवार टी.वी. के सामने बैठ गए और परेड चालू हुई लेकिन इस बार कुछ अलग सा था परेड में , कुछ नयापन था तो कुछ पुरानी चीज़े नही भी थी। तो आज मैं उन्ही के बारे में आप सभी को बताना चाहूंगी।
इस बार की गणतंत्रता दिवस परेड कई मायनो में खास थी एक ओर धरा पर लद्दाक की पहली झांकी कार्बन फ्री विकास का संदेश दे रही थी, वही दूसरी ओर आकाश में भारत-फ्रांस की मित्रता की प्रतीक राफाल फाइटर जेट इस बहतरवी गणतंत्रता दिवस को यादगार बना रही थी। तो आईये शुरू से शुरुआत करते है-
हर बार की तरह समारोह शुरू हुआ, राष्ट्रपति महोदय का कैवेलरी रेजिमेंट के साथ आगमन, फिर प्रधानमंत्री द्वारा उनका और प्रथम महिला का स्वागत , ध्वजारोहण और राष्ट्रगान। फिर हुई परेड की शुरुआत लेकिन इस बार कुछ अलग था -
1.मास्क में नज़र आये सभी सदस्य -
इस बार कोरोना को ध्यान में रखते हुए परेड में हिस्सा लेने वालेतथा वह मौजूद सभी सदस्य मास्क में नज़र आये साथ ही सोशल डिस्टनसिंग का भी पालन किया।

2.बांग्लादेश कंटिंजमेन्ट रही परेड का हिस्सा-
पहली बार बांग्लादेश की सेना परेड का हिस्सा रही ।बांग्लादेश की पाकिस्तान से आजादी की पचासवीं सलगिरा को मनाते हुए उन्हें भारत मे परेड का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया गया था। इसमे 122 सदस्य थे जिन्होंने "मुक्तियोधाओ (बांग्लादेश को पाकिस्तान से आज़ाद करवाने वाले योद्धाओ)" को सम्मानित करते हुए मार्च किया।
ऐसा तीसरी बार है कि किसी अन्य देश की सेना परेड का हिस्सा रही । इससे पहले 2016 में फ्रांस की आर्मी , यू.ए. इ 2017 में हिस्सा रही थी।

3.महिला सशक्तिकरण की साख-
भारत में लड़ाकू मिशन के लिए अर्हता प्राप्त करने वाली फ्लाइट लियूटीनेंट भावना कांत रही आई.ए.एफ के टैब्लेऑक्स का हिस्सा रही। कैप्टिन प्रीति चौधरी , इकलौती महिला कॉन्टिजेंट कमांडर, सचिलका सिस्टम का नेतृत्व करते नज़र आई। इसी के साथ सी.आर.पी.एफ की झांकी में महिला सोल्जर का होना, भारत की सेना में महिला सशक्तिकरण की बढ़ती साख को दर्शाता है।


4.पहली बार लद्दाक परेड में हुआ शामिल -
एक अलग केंद्र शाषित प्रदेश बनने के बाद ये पहली बार है कि लद्दाक परेड में शमील हुआ है । लद्दाक की झांकी में आर्टिकल -370, और कार्बन न्यूट्रल लद्दाक विकास के विज़न को दर्शाया गया था।

5.वर्षो का इंतेजार और पीढ़ियों की आस्था का परिणाम, एतिहासिक राम मंदिर की झलक-
उत्तर प्रदेश की झांकी को लेकर लोगो मे खास उतसाह था क्योंकि वर्षो की तपस्या के बाद राम मंदिर के मॉडल को एक वास्तविक रूप दिया जा सकेगा। राम मंदिर की यह झांकी इस परेड को इतिहासिक बना रही थी।

6."फोरगोटेन हिस्ट्री एंड हिस्टोरियंस एंड देयर साइंस" (कम चर्चित इतिहास, इतिहास के राजा और उनका विज्ञान) का रहा प्रभाव -
भक्ति मूवमेंट , विजयनगर साम्राज्य , भव्य भारतीय इमारते अधिकांश झांकियो का हिस्सा रही जो भारत के उन राजाओ का महिमामंडन करती है जिससे हमारी "सो कॉल्ड हिस्ट्री बुक" में लगभग भूल दिया गया है।
गुजरात का सूर्य मंदिर जिसके 52 स्तम्भ सूर्य के 52 सप्ताह के सूर्य वर्ष को दर्शाते हैं।
तमिलनाइडु के पल्लव शाशको से लेकर , कर्नाटक व आंध्र प्रदेश की झांकियो में विजयनगर साम्राज्य की झलक , भक्ति आंदोलन से लेकर गुरु तेग बहादुर सिंह जी के अनुपम योगदान तक यात्राएं झांकी का हिस्सा रही जो भारत के कुछ कम ज्ञात इतहसिक तथ्यों को उजागर करते है।


7.सतत और प्राकृत विकास का रहा बोलबाला -
लद्दाक की "कार्बन न्यूट्रल" थीम, केरल की "कोयर ऑफ केरल" ( नारियल के भूसे का व्यावसायिक इस्तेमाल) , पश्चिम बंगाल का साईकल को "प्राकृतिक दोस्त" की तरह दिखाना, तथा त्रिपुरा के बम्बू व्यवसाय का प्रचलन जैसे थीम भारत का रुख सतत और ग्रीन इकॉनमी की तरफ दर्शाता है ।

8.वोकल फ़ॉर लोकल और मेक इन इंडिया पर दिया गया जोर -वोकल
टी-90 भीष्म टैंक, ब्रह्मोस मिसाइल(भारत-रूस साझेदारी) कोरोना वैक्सीन के साथ बायोटेक डिपार्टमेंट की झांकी , डी.आर.डी.ओ की वोकल फ़ॉर लोकल थीम , आयुष भारत का आयुर्वेद और भारतीय चिकित्सा व्यवस्था को बढ़ाना और मिनिस्ट्री ऑफ इनफार्मेशन एंड ब्राडकास्टिंग "मेड इन इंडिया" थीम के साथ भारतीय समान को ग्लोबल ब्रांड बनाने की मुहिम को जोर दे रही है।

9.राफाल फाइटर जेट का प्रदर्शन-
बहुत लंबे इंतिजार और विवाद में रहे राफाल जेट के मुद्दे के बाद आज भारतीयों को इसका प्रदर्शन देखने का मौका मिला। वर्टीकल चार्ली फार्मेशन में जब ये आकाश में उतरा तो वातावरण में एक नया ही उमंग छा गया।

10.श्रमिक सुरक्षा को दर्शाती झांकी -
श्रम विभाग द्वारा "स्वस्थ, श्रमिक स्वस्थ भारत" की तर्ज पर बनी यह झांकी मुझे सबसे अच्छी लगी । इसमे सुरक्षा को दर्शाती हुई बड़ी पीली टोपी, और उसके नीचे आसरा लेते हुए सभी श्रमिक। यह तीनों श्रमिक रिफार्म को दर्शा रही थी।

11.वन नेशन , वन साइन लैंग्वेज जैसी अनोखी पहल-
एक ओर भारत मे जहा कई बोलिया बोली जाती है, वह पर एक राष्ट्र , एक सांकेतिक भाषा की धारणा एक नई सोच के साथ उभरी।

(चित्रो का स्त्रोत - गूगल)
इन सब के अलावा भी गणतंत्र दिवस परेड में कुछ और भी अलग चीज़े हुई जो शायद पहले कभी नही हुआ -
1.इस बार गणतंत्र दिवस पर कोई भी अन्य देश के मुख्य अतिथि नही थे। यू. के. के प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन मुख्य अथिति के तौर पर सम्मलित होने वाले थे परंतु यू.के. में फैले कोरोना के नई स्ट्रेन के कारण उन्हें अपना दौरा रद्द करना पड़ा।
2. मोटरसाइकिल स्टंट जो लोगो को खास रोमांचित करता था, वो भी इस साल परेड का हिस्सा नही रहा।
3.हर साल जो परेड 8.5 किलोमीटर जाती थी वह इस बार केवल 3.5 किलोमीटर तक ही जाएगी।
4. परेड जो हर वर्ष लाल किला तक होती थी वो इस बार नेशनल स्टेडियम तक ही रहेगी।
5.इस बार सभी कन्टेनमेंट में सदस्यों की संख्या को 144 से घटाकर 96 कर दिया गया था।
6.एन.सी.सी. के 1000 कैडेट्स रिपब्लिक डे परेड कैंप में आये थे। इनमें से 250 कैडेट्स ही परेड का हिस्सा होंगे। इस बार कैंप में जितने कैडेट्स हैं उनमें 38 फीसदी लड़कियां हैं।
6.इस बार 1 हफ्ते चलने वाला " भारत पर्व " भी नही मनाया जाएगा।
7.केवल 25,000 लोग ही परेड राजपथ से देख सकते थे जिसमें 4000 -4500 आम नागरिक भी शामिल थे। मीडिया प्रतिनिधियों की संख्या भी 200 तक सीमित रखी गयी थी।
8.वीरता पुरस्कारों की परेड और बहादुरी पुरस्कार हासिल करने वाले बच्चे भी 72वें गणतंत्र दिवस समारोह में नहीं थे।
8.बुजुर्गो और15 साल से कम उम्र के बच्चो को शामिल होने की अनुमति नही थी।
इन सब के बावजूद भी गणतंत्रता दिवस के मौके पर लोगो की देशभक्ति में कोई कमी नही आई।
जय हिंद🇮🇳
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