बॉलीवुड में इंटीमेट सीन्स कैसे फिल्माए जाते हैं? क्या अभिनेत्रियां इसके लिए ऑन कैमरा सीन्स फिल्माती है?

 प्रेम और रोमांस (love and Romance) जिस तरह से हमारे जीवन का हिस्सा रहे हैं, उसी तरह ये फिल्मों और धारावाहिकों का भी हिस्सा रहे हैं. एक दौर था, जब फिल्मों में महिला का रोल भी पुरुष किया करते थे. फिर इंडस्ट्री में अभिनेत्रियां भी आईं. हालांकि उनके लिए लोक-लाज की कुछ सीमाएं थीं. लेकिन चुंबन जैसे दृश्य भी सीधे तौर पर नहीं फिल्माए जाते थे. फिर समय के साथे वे भी सहज होने लगीं.

बॉलीवुड में इंटीमेट सीन्स कैसे फिल्माए जाते हैं? क्या अभिनेत्रियां इसके लिए ऑन कैमरा सीन्स फिल्माती है?


आप अभी भी कोई बहुत पुरानी फिल्म देखेंगे तो उसमें जैसे ही नायक-नायिका के बीच कुछ इंटीमेट होने वाला होता है, कैमरा नाइट लैंप या दीवार पर टंगी किसी तस्वीर या फिर किसी फूल पर फोकस हो जाता है… और या फिर नहीं तो कमरे में अंधेरा हो जाता है.

कुल मिलाकर पहले इन चीजों को लेकर बहुत ध्यान रखा जाता था. लेकिन आजकल की फिल्मों में सेक्शुअल या फिजिकल रिलेशन कोई बड़ी चीज नहीं रह गई है. खासकर जब से ओटीटी और वेबसीरीज का दौर आया है, तब से खुलापन काफी बढ़ गया है. कुछ OTT Platform तो ऐसे कंटेंट के लिए ही जाने जाते हैं.

बहरहाल हम अपने टॉपिक पर आते हैं कि फिल्मों में ये Intimate Scenes यानी अंतरंग दृश्य Shoot कैसे किए जाते हैं! क्या छोटे-बड़े पर्दे पर किस सीन से लेकर बेड सीन तक (Kissing Scenes, Bed Scene, Sexual Relation) हम जो कुछ देख रहे होते हैं, ठीक वैसे ही हूबहू शूट किए जाते हैं?

प्रोफेशनल्‍स बताते हैं कि आम तौर पर वे सीन्स भी उनकी एक्टिंग का पार्ट होते हैं, लेकिन इसको लेकर आम लोगों के मन में कई तरह के सवाल चलते रहते हैं. इन सवालों को लेकर हमने फिल्म और टीवी इंडस्ट्री में पर्दे के आगे और पर्दे के पीछे काम करनेवाले प्रोफेशनल्स से एक्सक्लूसिव बात की है और इसी दरम्यान हमें इंडस्ट्री की एक नई पहल (Initiative) के बारे में भी पता चला है.

चलिए शुरुआत करते हैं कुछ Examples से.

जब इंटीमेट सीन्स करने से एक्‍ट्रेस ने कर दिया मना?

साउथ फिल्म इंडस्ट्री की फेमस एक्ट्रेस काजल अग्रवाल (Actress Kajal Agarwal) ने पिछले दिनों फिल्म ‘दो लफ्जों की कहानी’ में रणदीप हुडा (Actor Randeep Hooda) के साथ किस सीन देने से इनकार कर दिया था. शूटिंग के दौरान निर्देशक दीपक तिजोरी के एक्शन बोलते ही जैसे रणदीप आगे बढ़े, काजल पीछे हट गईं और उन्होंने लिप-लॉक (Liplock Kiss) सीन देने से मना कर दिया. फिर बाद में फिल्म और स्क्रिप्ट की डिमांड का हवाला देकर दीपक ने उन्हें राजी किया था.

अब हाल के महीनों में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर आईं वेब सीरीज को ही देख लें, उनमें ​फिजिकल या सेक्शुअल रिलेशनशिप के सीन्स आम हो चुके हैं. बॉलीवुड की पार्च्ड (Parched), बीए पास (BA Pass) जैसी फिल्मों में भी इंटीमेट सीन्स देखे जा चुके हैं. लेकिन क्या जैसा हमें दिखता है, सबकुछ वैसा ही होता है क्या?

ब्यूटी शॉट्स के जरिये इल्यूशन क्रिएट करना

इमरान हाशमी स्टारर फिल्म Why Cheat India के असिस्टेंट डायरेक्टर रुद्रभानु प्रताप सिंह अपना 4 साल पुराना अनुभव बताते हुए कहते हैं कि उन दिनों वे ​फियर फाइल्स के क्रिएटिव हेड थे, तब हॉरर+सेक्स… हॉरेक्स की शुरुआत हुई थी. उसके एक एपिसोड में एक्ट्रेस ने क्लीवेज के पास किस करने वाले सीन से Deny कर दिया था, चूंकि उसके मंगेतर ने मना किया था. ऐसे में हमें इल्यूशन क्रिएट करना पड़ा, ब्यूटी शॉट्स से काम चलाना पड़ा, सिनेमेटोग्राफी के कुछ टेक्निक्स यूज करने पड़े. ताकि बिना कुछ हुए भी दर्शकों को लगे कि बहुत कुछ हुआ है.

ब्यूटी शॉट्स जैसे हग करना, किस करना, हाथ से हाथ स्पर्श करना और फिर कैमरा एंगल ऐसा रखना जिसके जरिये बॉडी पार्ट्स को कवर किया जा सके. ये सारी टेक्निक्स होती है. कॉस्ट्यूम का ध्यान रखना होता है. जैसे बेड सीन के लिए 2 या 3 पीस नाइटी देना, ताकि उतारने के दौरान मोमेंट क्रिएट हो. बेड पर सैटिन के बेडशीट्स यूज किए जाते हैं और उससे ढककर केवल इल्यूशन क्रिएट किया जाता है.

इल्यूशन के बारे में पूछने पर रुद्रभानु समझाते हैं, “सबसे ऊपर आप जो तस्वीर देख रहे हैं शाहरुख खान (Shahrukh Khan) और कैटरीना कैफ (Katrina Kaif) की, वह 2012 में आई फिल्म जब तक है जान (Jab Tak Hai Jaan) का एक दृश्य है. इसमें यही दिखाने की कोशिश की गई है कि दोनों बिना कपड़ों के एक-दूसरे से लिपटे हैं. जबकि शूटिंग के वक्त ऐसा बिल्कुल नहीं है. दैट इज कॉल्ड इल्यूशन 

हरी सब्जी को Kiss करते हैं एक्टर-एक्‍ट्रेस

वेब सीरीज और सीरियल्स के लिए एग्जिक्यूटिव प्रॉड्यूसर रह चुके और वर्तमान में We The People Films नाम से अपना प्रॉडक्शन हाउस चला रहे जॉय बैनर्जी बताते हैं कि अनकंफर्ट फील होने की स्थिति में हम फिर से पुराने दौर में लौट जाते हैं. पुराने समय की तरह हम क्रोमा शॉट्स लेते हैं. क्रोमा यानी नीले या हरे रंग का कोई कवर, जिसे बाद में गायब कर दिया जाता है.

जैसे- एक्टर और एक्ट्रेस को किसिंग सीन से आपत्ति है तो उनके बीच सपोज एक सब्जी लौकी यानी कद्दू (Loki Vegetable) रखा जाता है. ग्रीन कलर होने के कारण लॉकी क्रोमा का काम करती है. दोनों लॉकी को किस करते हैं और फिर पोस्ट प्रॉडक्शन के दौरान लॉकी को गायब कर दिया जाता है और दर्शकों को लगता कि दोनों ने Kiss किया है.

हमें लगता है कि सेक्शुअल इंटरकोर्स हुआ है, लेकिन..

बातचीत के दौरान हमें हिंदी फिल्मों की पहली इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर आस्था खन्ना के बारे में मालूम हुआ, जो बॉलीवुड में इंटीमेट सीन्स के लिए कोऑर्डिनेशन का काम कर रही हैं. इस तरह के काम का चलन बॉलीवुड में नहीं था, लेकिन आस्था ने इसी के जरिये अपनी पहचान बनाई. इसके लिए बकायदा उन्होंने अमेरिका के लॉस एंजिल्स स्थित इंटिमेसी प्रोफेशनल्स एसोसिएशन (Intimacy Professionals Association) से इंटिमेसी कोऑर्डिनेशन का कोर्स कर रखा है.

आस्था बॉलीवुड मूवी बदलापुर (Badlapur), अंधाधुन (Andhadhun) में असिस्टेंट डायरेक्टर रह चुकी हैं. वह चाहती हैं कि एक्शन सीन्स की गाइडलाइंस की तरह इंटीमेसी सीन्स के लिए भी गाइडलाइंस बने. जर्मन वेबसाइट डॉयचे वेले को दिए गए एक इंटरव्यू में वह बताती हैं कि दर्शकों को लगता है कि इंटरकोर्स हुआ है, लेकिन वह एक्चुअल में होता नहीं है.

आस्था कहती हैं, “..क्योंकि इसको लेकर कोई गाइडलाइंस बनी नहीं हैं, तो फॉलो किए जाने का सवाल ही नहीं पैदा होता. लेकिन कुछ बेसिक्स तो होते ही हैं. हमें दोनों के बीच बैरियर्स क्रिएट करने होते हैं. दोनों के साथ सीन डिस्कस करना होता है. एक बाउंड्री होती है, जिसे पार नहीं करना होता.” हालांकि बॉलीवुड में जो एक्टर्स-एक्‍ट्रेसेस एक-दूसरे के साथ कंफर्ट हैं तो काफी कुछ उनपर निर्भर करता है.

ले गार्ड, कुशन, सिलिकॉन पैड्स जैसे प्रॉप्स का इस्तेमाल

आस्था बताती हैं कि टेक्निकल टीम की तरह उनके पास भी कुछ प्रॉप्स होते हैं. सैनेटरी पैड, बॉडी टेप, एल्कॉहल बैग्स तो सामान्य हैं, लेकिन मेनली इस बात का ध्यान रखना होता है कि मेल और फीमेल के प्राइवेट पार्ट्स आपस में टच न हों. इसके लिए क्रिकेटर्स की तरह मेल एक्टर के लिए ले गार्ड होते हैं. एक कुशन या एयर बैग होता है, जो दोनों के बीच गैप रखता है. एक्ट्रेस के लिए पुशअप्स पैड्स, पीछे से टॉपलेस दिखाना हो तो आगे पहनने वाले सिलिकॉन पैड होते हैं. सबसे मेन चीज होती है कंसेंट. किसी भी इंटीमेट ​सीन के लिए एक्टर्स, एक्ट्रेस की रजामंदी जरूरी होती है.

कॉन्ट्रैक्ट में मेंशन होता है- आप कहां तक कंंफर्ट हैं

इंटीमेट सीन्स को लेकर एक्टर्स के साथ जो जरूरी चीज होती है, वह होता है- कॉन्‍ट्रैक्‍ट. कई बार चीजें कॉन्ट्रैक्ट में क्लियर होती हैं. मुंबई बेस्ड एक्टर संजय बताते हैं कि इस वजह से उन्हें भी कुछ ओटीटी प्लेटफॉर्म की सीरीज निकल गईं. वे कहते हैं कि न्यूकमर्स के साथ थोड़ी दिक्कतें हो जाती हैं, जब उनसे कहानी की डिमांड और प्रोग्रेसिवनेस के नाम पर चीजें करा ली जाती हैं. अनुभवी चरित्र अभिनेता दिलीप ताहिल ने एक सुझाव दिया था कि कलाकारों के साथ सीन डिस्कस करें और उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग रखें. एक एक्टर के तौर पर अनकंफर्टेबल फील तो होता ही है.

आउटपुट क्या चाहिए, वह मायने रखता है

सलमान खान, सन्नी देओल और करिश्मा कपूर स्टारर फिल्म जीत में एक्ट्रेस का हॉट फिगर दिखाने के लिए पैड का इस्तेमाल किया गया था. मुंबई बेस्ड एक्ट्रेस शनाया सिंह ने बताया कि साड़ी में उन्हें सेक्सी/बोल्ड दिखाने के लिए पैड इस्तेमाल किए गए थे. तो यह एक बीच का रास्ता होता है. मेरा मानना है कि कोई एक्ट्रेस कंफर्टेबल न हो तो उसे केवल न्यूडिटी के पैमाने पर काम से हटा देना वाजिब नहीं है.

कहानी की डिमांड आउटपुट पर निर्भर होने चाहिए. इंटरकोर्स हुए बिना भी तो दिखाया जा सकता है. टेक्निक्स और ब्यूटी सीन्स का इस्तेमाल करें. दर्शकों को आप जो दिखाना चाहते हो, आउटपुट वही लाएं, लेकिन बीच का रास्ता निकालें. एक्ट्रेस या एक्टर्स को कंफर्ट करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए. ..तो ऐसे में आस्था खन्ना अच्छी पहल कर रही हैं.

एक्शन सीन्स की तरह बॉडी डबल का इस्तेमाल

जॉय बताते हैं कि बहुत सारी एक्ट्रेस किस या स्मूच के लिए तैयार होती हैं लेकिन सेक्शुअल सीन्स (Sexually Intimate Scenes) के लिए अनकंफर्टेबल महसूस करती हैं या मना करती हैं तो ऐसे में बॉडी डबल का इस्तेमाल किया जाता है. जैसे सलमान या अजय की कोई एक्शन फिल्म देख लें, उसमें जहां फेस दिखता है वहां हीरो खुद होता है, लेकिन एक्शन सीन उनके डुप्लिकेट करते हैं. वैसे ही यहां भी होता है. जहां फेस दिखते हैं वहां एक्ट्रेस और जहां इंटीमेट सीन्स हों, वहां उनके फिगर जैसी कोई डुप्लिकेट आर्टिस्ट.

मिनिमम क्रू यानी कम से कम लोगों की मौजूदगी

आस्‍था, रुद्रभानु, संजय और जॉय के बातों में यह कॉमन लगी कि इंटीमेट सीन्स के दौरान मिनिमम क्रू (Minimum Crew) रखे जाते हैं. ज्यादा लोगों की मौजूदगी में कलाकार कंफर्टेबल नहीं होते. ऐसे में केवल डायरेक्टर, डीओपी और बहुत जरूरी क्रू मेंबर ही होते हैं. कई बार तो डायरेक्टर भी बाहर चले जाते हैं और शूट होने के बाद वे वीडियो देखते हैं और चेंजेस लाने हों तो Intervention करते हैं.

कंसर्न, कंसेंट, कंफर्टेबिलिटी और इस तरह बहुत सारी चीजें होती हैं, जिनका ध्यान रखा जाता है. प्रोफेशनल्स का मानना है कि इंडस्ट्री में अगर गाइडलाइंस बनाई जाएं तो फिल्ममेकर्स को भी अपनी कहानियों को सही तरीके से पेश करने की संभावनाएं बढ़ेंगी.

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