तुलू भाषा एवं उसका इतिहास || Tulu language and it's history

तुलू भाषा क्यों चर्चा में है ? 



हाल ही में विभिन्न संगठनों ने तुलु भाषा को लेकर ट्विटर पर एक अभियान चलाया ।
 इस अभियान के जरिये इन संगठनों ने तुलु भाषा को संविधान की 8 वीं अनुसूची में शामिल करने एवं कर्नाटक और केरल में इसे आधिकारिक भाषा का दर्जा देने की मांग की ।
लाखों लोगों ने खुलकर इस अभियान का समर्थन किया।
वर्तमान में संविधान की 8 वीं अनुसूची में 22 भाषाएँ शामिल हैं।
आठवीं अनुसूची के तहत सूचीबद्ध भाषाएँ हैं:
(1) असमिया (2) बांग्ला (3) गुजराती (4) हिंदी (5) कन्नड़ (6) कश्मीरी (7) कोंकणी (8) मलयालम (9) मणिपुरी (10) मराठी (11) नेपाली (12) उड़िया (13) पंजाबी (14) संस्कृत (15) सिंधी (16) तमिल (17) तेलुगु (18) उर्दू (19) बोडो (20) संथाली ( 21) मैथिली और (22) डोगरी।

तुलु भाषा एवं इसका इतिहास 

यह एक द्रविड़ भाषा है - यह मुख्य रूप से कर्नाटक के दो तटीय जिलों दक्षिण कन्नड़ एवं उडुपी और केरल के कासरगोड जिले में बोली जाती है 
तुलू में सबसे पुराने उपलब्ध शिलालेख 14वीं से 15वीं शताब्दी ईस्वी के बीच के हैं।
 2011 की जनगणना के अनुसार , भारत में 18 लाख 46 हजार 427 लोग तुलु भाषा बोलते हैं 
कुछ विद्वानों का मानना है कि तुलु सबसे पुरानी द्रविड़ भाषाओं में से एक है 

- इस भाषा का इतिहास दो हजार साल तक पुराना है - रॉबर्ट कैल्डवेल अपनी पुस्तक “ ए कम्पेरेटिव ग्रामर ऑफ द द्रविड़ियन या साउथ इंडियन फैमिली ऑफ लैंग्वेजेज ” में बताते हैं कि तुलु " द्रविड़ परिवार की सबसे विकसित भाषाओं में से एक " है 
- कुछ साल पहले कर्नाटक सरकार ने तुलु को स्कूलों में एक भाषा के रूप में पेश किया था


तुलू भाषा की कला और संस्कृति:

तुलू में लोकगीत रूपों जैसे- पद्दना (Paddana) और पारंपरिक लोक रंगमंच यक्षगान के साथ एक समृद्ध मौखिक साहित्य परंपरा है।
तुलू में सिनेमा की एक सक्रिय परंपरा भी है, जिसमें प्रतिवर्ष लगभग 5 से 7 फिल्में तुलु भाषा में बनती हैं।

क्या है ' तुलनाडु ? 
मुख्य रूप से कर्नाटक के दो जिलों दक्षिण कन्नड़ एवं उडुपी और केरल के कासरगोड जिले में बोली जाती है - इन क्षेत्रों को अनौपचारिक रूप से ' तुलनाडु ' कहा जाता है - चुनाव आयोग से मान्यता प्राप्त ' तुलुवेरे पक्ष ( Tuluvere Paksh ) नामक एक राजनीति दल है , जो एक अलग राज्य तुलनाडु बनाये जाने का पक्षधर है

मान्यता का मामला:

संविधान का अनुच्छेद 29: यह "अल्पसंख्यकों के हितों के संरक्षण" से संबंधित है। इसमें कहा गया है कि भारत के राज्य क्षेत्र या उसके किसी भाग के निवासी नागरिकों के किसी अनुभाग, जिसकी अपनी विशेष भाषा, लिपि या संस्कृति है, को बनाए रखने का अधिकार होगा।

युलु उद्घोषणा:

युलु उद्घोषणा (Yuelu Proclamation) को यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन) द्वारा 2018 में सेंट्रल चीन के हुनान प्रांत के चांग्शा में भाषा संसाधन संरक्षण पर पहले अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में अपनाया गया था।
यह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, राज्यों, सरकारों और गैर-सरकारी संगठनों से विश्व में भाषायी विविधता के संरक्षण और संवर्द्धन पर आम सहमति पर पहुँचने का आह्वान करता है।

आठवीं अनुसूची के तहत मान्यता के लाभ:

साहित्य अकादमी से मान्यता।
साहित्य अकादमी को भारत की राष्ट्रीय पत्र अकादमी भी कहा जाता है, जो विभिन्न भारतीय भाषाओं में निहित साहित्य को संरक्षित करती है और उन्हें बढ़ावा देती है।
तुलू साहित्यिक कृतियों का अन्य भाषाओं में अनुवाद।
संसद सदस्य (Members of Parliament- MP) और विधानसभा के सदस्य (Members of the Legislative Assembly- MLA) क्रमशः संसद और राज्य विधानसभाओं में तुलु बोल सकते हैं।
सिविल सेवा परीक्षा जैसी अखिल भारतीय प्रतियोगी परीक्षाओं में तुलू में परीक्षा देने का विकल्प।
केंद्र सरकार की ओर से विशेष फंड।
प्राथमिक और हाईस्कूल में तुलू का अध्यापन।

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